आपदा प्रबंधन (information)

July 1998

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गुजरात में आया भीषण चक्रवात भावी विभीषिकाओं की पूर्व सूचना लेकर आया है

विगत दिनों 9, 10, 11 जून को गुजरात में आया भीषण चक्रवाती तूफान एक विनाशलीला रचाता चला गया। अनेकों जानें गयीं-काण्डला व नौलखी बंदरगाहों सहित जामनगर, गाँधीधाम, भुज-कच्छ आदि क्षेत्रों में अरबों का नुकसान कर गया। उत्तरकाशी व लटूर में आए भूकम्पों के बाद दैवी प्रकोपों की श्रृंखला बढ़ती चली जा रही है। प्रतिवर्ष कोई नई विपत्ति हर महाद्वीप में बढ़ती ही जाती थी। अमेरिका को जहाँ एलनीनो के कारण प्रतिकूल मौसम का सामना करना पड़ा-वहाँ भारतीय उपमहाद्वीप में इस सदी की भीषणतम गर्मी देखी गयी है। सौरकलंकों-धब्बों की संख्या क्रमशः बढ़ती जा रही है। उड़ीसा, बंगाल क्षेत्र में पिछले दिनों आए तूफान, आंध्र में समुद्री तूफान, उत्तरप्रदेश, बिहार में ओले-बर्फ की सिल्लियों की बारिश तथा लगभग कहर बरसाती रही शीतऋतु यही बताती है कि अभी बहुत कुछ आगामी तीन वर्षों में हम सबको झेलना है।

गुजरात के तूफान-क्षेत्र का दौरा करके आयी हमारी केन्द्रीय तंत्र की टोली के विवरण को जानकर तो लगता है मानो उस चक्रवात के रूप में साक्षात यमराज पधारे थे। तात्कालिक राहत के जो भी कुछ उपचार क्रम चले हों-अपर्याप्त हैं। गायत्री परिवार दैवी-आपदा राहत कोष की स्थापना कर ऐसे क्षेत्रों में जहाँ सब कुछ उजड़ गया है-जहाँ कोई भी जनतंत्र का पदाधिकारी नहीं पहुँच पाया है-पीड़ानिवारण की सेवा कर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करने का प्रयास करने को संकल्पित हुआ है। प्रारंभ गुजरात से हुआ है, किंतु सारे भारतवर्ष के लिए इसका स्वरूप अगले दिनों उभर कर सामने आ सकेगा। जो चाहते हों कि पीड़ितों-दुःखीजनों की आह कुछ कम हो सके-वे इसमें सहयोग देने हेतु शान्तिकुञ्ज, हरिद्वार से पत्राचार कर सकते हैं।


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