एक अति विशेष अनुरोध

October 1995

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परमपूज्य गुरुदेव पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने न केवल वेदों के अध्ययन, अनुशीलन का मार्ग प्रशस्त किया, इनके उच्चस्तरीय अनुसंधान हेतु ब्रह्मवर्चस शोध-संस्थान नाम की प्रयोगशाला भी स्थापित की। यह प्रयोगशाला प्रयोगों की दृष्टि से उपकरणों के अभाव में यद्यपि प्रारम्भिक स्थिति में हैं, फिर भी जो भी उपकरण इसमें अब तक उपलब्ध हो सके हैं, उनसे भारतीय योगविज्ञान, भारतीय संस्कृति की आधारभूत मान्यताएँ, अध्यात्म साधनाएँ तथा यज्ञों की वैज्ञानिकता असाधारण महत्वपूर्ण एवं विज्ञान सम्मत सिद्ध हो चुकी हैं। इस प्रयोगशाला में 24 से अधिक उच्च शिक्षित एम.डी., एम.एस., एम.बी.बी.एस., बी.ए.एम.एस., एम.एस.सी. स्तर के वैज्ञानिक कार्य कर रहे हैं। वेदों के “आकल्ट” विषयों का शोध अनुसंधान करने की भी व्यवस्था यहाँ की गई है। किन्तु यह शोध कार्य बड़े उपकरणों की अपेक्षा रखता है। इस तरह के उपकरण अम्बाला, चण्डीगढ़, बम्बई, कलकत्ता, दिल्ली के अलावा विदेश से भी मँगाए जाने की व्यवस्था की जा रही है, किन्तु स्वर विज्ञान, मंत्र-विद्या संगीत चिकित्सा, समागान, आँरा विज्ञान, प्लाज्मा विज्ञान, ब्रह्माण्ड के विलक्षण विकिरणों के प्रभाव पर अध्ययन के लिए अति संवेदनशील बहुमूल्य उपकरणों की आवश्यकता है। अपने धर्म-संस्कृति प्रदर्शियों की धरोहर पर निष्ठा रखने वाले श्रीमंत जनों से इसमें विशेष सहायता करने का सादर अनुरोध है।


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