नारी का सहज रूप शील प्रधान है। वही उसका सबसे बड़ा आभूषण भी है।
अरस्तू की एक कन्या थी। नाम था पीथिया। अरस्तू के शिष्य सिकन्दर की रानियाँ एक दिन गुरु गृह गईं और आतिथ्य के उपरान्त उनने पीथिया से पूछा− “चेहरे को अधिकाधिक सुन्दर बनाने के लिए क्या उबटन लगायें?” पीथिया ने कहा-उनका सबसे बड़ा सौंदर्य है लज्जा, उसे वे बनाए रखें तो अधिक उन्हें कुछ करने की आवश्यकता नहीं। सौंदर्यवान वही है, जो शीलवान् भी है।”