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Akhand Jyoti
Year 1984
Version 2
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June 1984
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उत्तम पुस्तक के साथ नरक में भी स्वर्ग तुल्य रहा जा सकता है।
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Page Titles
तप में प्रमाद न करें
जून के विशेषाँक के विक्रय में अधिक उत्साह दिखायें
महत्वपूर्ण सूचना
शरीर रहते निष्क्रियता अपनाने का क्या प्रयोजन?
गलत कदम नहीं उठा, उसके पीछे तथ्य और औचित्य हैं।
तपश्चर्या से आत्म-शक्ति का उद्भव
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अप्रत्यक्ष घाटे के पीछे परोक्ष लाभ ही लाभ है।
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प्रिय शिष्य नचिकेता था (kahani)
हमारी भविष्यवाणी सतयुग की वापसी
इस जीवन चर्या के गम्भीरता पूर्वक पर्यवेक्षण की आवश्यकता
समर्थ गुरु का प्राप्त- अजस्र सौभाग्य
उपासना की दिशा में बढ़ते चरण
जीवन साधना जो असफल नहीं हुई
आराधना जिसे निरन्तर अपनाये रहा गया
सिद्धियाँ जिनका प्रत्यक्ष अनुभव होता रहा
सच्ची साधना- सही दिशोधारा
ब्राह्मण मन और ऋषि कर्म
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हमने आनन्द भरा जीवन जिया
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अध्यात्म की यथार्थता और परिणति
स्थूल का सूक्ष्म में परिवर्तन
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मूर्धन्यों को झकझोरने वाला हमारा भागीरथी पुरुषार्थ
जागृत आत्माओं से भाव भरा आग्रह
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आत्मीय जनों के नाम वसीयत और विरासत
किस जगत से मुक्ति चाहूँ!
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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