कुछ सामयिक सूचनाएँ एवं अपेक्षाएँ

August 1979

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(1) युग निर्माण परिवार की समर्थ शाखाएँ इन दिनों अपने यहाँ गायत्री शक्ति पीठ स्थापित करने की संभावना पर गम्भीरता पूर्वक विचार करें और जहाँ सम्भव हो वहाँ उसके लिए साहसिक कदम बढ़ायें।

(2) परिजनों के प्रभाव क्षेत्र में जहाँ अधिक भूमि डडडड सुविधा वाले देवालय हों, वहाँ उन्हें गायत्री डडडड ट्रस्ट के लिए प्राप्त करने का प्रयत्न किया जाय स्थापित देवता की पूजा अर्चना विधिवत होते रहने के साथ-साथ उन्हीं में थोड़ा नया निर्माण करके गायत्री प्रज्ञा पीठ बना लिया जायगा।

(3) समयदानी, वरिष्ठ, कनिष्ठ परिव्राजकों, टोली नायकों एवं कर्मठ कार्यकर्त्ताओं का प्रशिक्षण सन् 25 जुलाई से शान्ति कुंज में चल पड़ा है। यह न्यूनतम एक महीने का होगा। सुविधा और आवश्यकता के अनुरूप यह शिक्षण काल अधिक समय का भी हो सकता है। यह प्रशिक्षण भविष्य में निरन्तर चलता रहेगा। सृजन शिल्पी इस प्रशिक्षण को प्राप्त करने की तैयारी करें और अगले दिनों अपना स्थान सुरक्षित करायें।

(4) जहाँ गायत्री शक्ति पीठ एवं गायत्री प्रज्ञा पीठें बनेंगी, वहाँ प्रशिक्षित परिव्राजकों की अनिवार्य रूप से आवश्यकता पड़ेगी। इसके लिए क्षेत्रीय कार्यकर्ता ही उपयुक्त हो सकते हैं। इसके लिए जिन्हें उपयुक्त समझा जाय उनसे संपर्क साधा जाए।

(5) ब्रह्म वर्चस् आरण्यक के दार्शनिक अनुसंधान कार्य को विस्तार दिया जा रहा है। जहाँ विश्वविद्यालय अथवा समृद्ध पुस्तकालय हैं, वहाँ उच्च शिक्षित साथी सहकारी इस प्रयोजन के लिए ढूँढ़े और सदस्य बनाये जा रहे हैं। अखण्ड-ज्योति परिजनों में से जो इसके लिए अपने को उपयुक्त समझे वे सदस्यता प्राप्त कर अपना नाम पंजीकृत करा लें। इन सदस्यों का प्रथम विचार विनिमय सात दिवसीय सत्र दशहरा दिवाली की छुट्टियों में ता. 5 अक्टूबर से 11 अक्टूबर 76 तक शांतिकुंज में लगेगा। शोध सदस्यों को इसमें सम्मिलित होने के लिए कहा गया है।

(6) एक-एक मास के ब्रह्मवर्चस् साधना सत्र हर भारतीय महीनों की पूर्णिमा से पूर्णिमा तक लगा करेंगे। तारीखों की संगति बदलती रहती है। इसलिए जिन्हें जिस महीने आना हो वे तारीखों की जानकारी प्राप्त कर ले। इसमें सौम्य चांद्रायण व्रत, पंचकोशीय साधना, कुण्डलिनी जागरण सहित गायत्री उपासना का विधान रहेगा। व्यक्ति, विशेष की स्थिति के अनुरूप साधनाक्रम बनाया जाया करेगा। यह नया क्रम कार्तिकी पूर्णिमा ता. 4 नवम्बर से प्रारम्भ होगा। तब तक के सभी स्थान पूर्ण हो चुके हैं।

(7) कार्तिकी पूर्णिमा के उपरान्त शांतिकुंज में पाँच-पाँच दिन के तीर्थ सेवन सत्र लगाये जाया करेंगे। तीर्थ यात्रा के साथ साथ उपयोगी प्रेरणाएँ प्राप्त करने, अपने अनुकूल साधना का निर्धारण तथा प्रस्तुत समस्याओं के समाधान के निमित्त परिजन इनमें आते रहेंगे। व्यस्त लोगों को भी थोड़े दिन अपने प्रिय परिजनों के साथ आने की इस सुविधा का लाभ सभी परिजनों को मिलेगा। स्वभावतः इस निमित्त हजारों परिजन शान्ति कुंज आना और बहु सुविधा सम्पन्न आनन्द उठाना चाहेंगे।

इस नई योजना के लिए शांतिकुंज का वर्तमान स्थान सर्वथा अपर्याप्त है। नये कमरे गायत्री नगर में बनाने की योजना है इस निर्माण को सच्चे अर्थों में धर्मशाला या तीर्थ यात्रा भवन कहा जा सकेगा। दोनों ओर बरामदे 12 ×16 साइज का बड़ा कमरा-स्थान गृह, शौचालय समेत हर कमरा होगा जिसमें चार पाँच व्यक्तियों का एक परिवार आनन्दपूर्वक ठहर सकेगा। आवश्यकतानुसार अपना भोजन भी बना सकेगा। इन निवास कक्षों पर प्रायः सात हजार लागत आयेंगी। उदार परिजनों से एक-एक कमरा अपनी ओर से बनवाकर इस महती आवश्यकता को पूरा करने का अनुरोध किया गया है।

(8) व्यक्तिगत परामर्शों के सम्बन्ध में शांतिकुंज का पत्र व्यवहार अत्यधिक बढ़ रहा है। उधर पोस्टेज बढ़ गया है। ऐसी दशा में उत्तर प्राप्त करने के लिए जवाबी पत्र भेजने का अनुरोध नये सिरे से किया जा रहा है। परम्परा में इन दिनों शिथिलता बरती जाने लगी है। अब जवाबी पत्रों की बात विशेष रूप से ध्यान में रखी जानी चाहिए।


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