त्रिवेणी योगःसा प्रोक्ता तत्र स्नान महा फलं। यह योग ही त्रिवेणी है। इसी में स्नान करने का महाफल होता है। जीव, प्रकृति और परमेश्वर इन तीनों को अलग अलग रहने से ही सर्वत्र अभाव ओर अपूर्णता दीख रही है। यदि ईश्वर और जीव मिल जाय और छाया की तरह उनके साथ प्रकृति अर्थात् सिद्धियाँ और विभूतियाँ भी रहे, तो फिर कमी किस बात की रह जाय।