VigyapanSuchana

April 1977

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मिशन की सभी पत्रिकाओं की सदस्य संख्या बढ़ाई जाय।

अखण्ड-ज्योति का अपना महत्व है। उसे परिजन रुचिपूर्वक पढ़ते और प्रसार करते हैं। यह उनकी गुण ग्रहिता एवं सत्प्रयोजनों में सहकार करने की सद्भावना का परिचायक है। किन्तु यह नहीं समझा जाना चाहिए कि मिशन की विचार-धारा समझने और उज्ज्वल भविष्य के निर्माण के लिए सभी आवश्यक प्रेरणाएँ मात्र उसी से प्राप्त हो सकती है। मिशन की अन्य पत्रिकाएँ उसकी पूरक के रूप में निकलती है।

गुजराती, मराठी, उड़िया में युग-निर्माण योजना इस दृष्टि से निकलती है। कि उन क्षेत्रों की जनता भी इस प्रकाश से लाभान्वित हो सके। हिन्दी युग- निर्मा में सामाजिक समस्याओं एवं महामानवों की अनुकरणीय गतिविधियों की जानकारी देकर समाज निर्माण की आवश्यकता पूरी करती है। मिशन की क्रियात्मक गतिविधियाँ का विवरण एवं मार्ग-दर्शन पाक्षिक युग-निर्माण योजना में रहता है। यह सभी पत्रिकाएँ अपने-अपने प्रयोजनों को पूरा करती है। तदनुसार उनके सम्मिलित प्रभव से युग-निर्माण मिशन को अग्रगामी बनाने का उद्देश्य पूरा होता है। इनमें से प्रत्येक अपने स्थान पर अति महत्वपूर्ण है। इनमें से किसी को भी उपेक्षणीय नहीं समझा जाना चाहिए।

अखण्ड-ज्योति परिजनों से अनुरोध है कि वे इन सभी पत्रिकाओं को मिशन का ढाँचा खड़ा करने में रक्त, माँस, अस्थि, चर्म आदि की तरह अविच्छिन्न और आवश्यक समझे। इनके सदस्य रहने और नये सदस्य बनाने की बात का वैसा ही ध्यान रखें जैसा कि अखण्ड-ज्योति का रखा जाता है। इन पत्रिकाओं का नया वर्ष भी जनवरी से आरम्भ होता है, अस्तु उनके ग्राहक बनाने का प्रयत्न भी इन्हीं दिनों पूरे उत्साह के साथ किया जाना चाहिए।- भगवती देवी शर्मा


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