गायत्री तपोभूमि मथुरा में युग−निर्माण विद्यालय का आगामी सत्र 1 जुलाई से आरम्भ होगा। यह वर्ष तक चलेगा। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य स्वावलम्बी, चरित्रवान लोकसेवी उत्पन्न करना है।
जीवन जीने की कला—उत्कृष्ट चरित्र, उत्तम स्वास्थ्य, परिष्कृत गुण, कर्म स्वभाव की सैद्धान्तिक शिक्षा तथा व्यावहारिक अभ्यास कराने के लिए शिक्षा प्रक्रिया में प्रधान स्थान दिया गया है ताकि शिक्षार्थी स्वयं समुचित स्तर को जीवनयापन करते हुए समीपवर्ती वातावरण में सत्प्रवृत्तियों का अभिवर्धन कर सकें। बौद्धिक क्रान्ति, नैतिक क्रान्ति एवं सामाजिक क्रान्ति के लिए धर्म मंच का उपयोग करके किस प्रकार नया समाज बनाया जाय इसकी व्यावहारिक शिक्षा भी दी जाती रहेगी। आत्म−निर्माण और समाज निर्माण दोनों का ही इसे प्रभावशाली समन्वय कहा जा सकता है।
आर्थिक स्वावलम्बन की दृष्टि से कई महत्वपूर्ण उद्योगों का समावेश रहेगा।
(1)प्रेस उद्योग का सांगोपांग शिक्षण−कम्पोज, छपाई, प्रूफ रीडिंग, बाइंडिंग, रबड़ की मुहरें बनाना आदि।
(2) बिजली उद्योग—नये रेडियो बनाना तथा पुरानों की मरम्मत, बिजली का फिटिंग, जली मोटरों के कोइल बाँधना, पंखा, हीटर आदि बिजली की मशीनों की मरम्मत।
(3) सामान्य उद्योग—साबुन, मोमबत्ती, सुगन्धित तेल, स्याहियाँ बनाना, तरह तरह के खिलौने बनाना, टूटी−फूटी वस्तुओं की मरम्मत, शाक−वाटिका उगाना आदि।
भोजन व्यय शिक्षार्थी को स्वयं उठाना पड़ेगा। जिन्हें इस प्रशिक्षण में रुचि हो युग−निर्माण विद्यालय, मथुरा से आवश्यक जानकारी, नियमावली, आवेदन फार्म आदि मँगालें।