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April 1974

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सर्वथा निर्दोष व्यक्ति अथवा सर्वथा निर्दोष काम एक उचित तथ्य है जिसके लिए हम सबको निरन्तर प्रयत्नशील रहना चाहिये पर साथ ही यह भी नहीं भूल जाना चाहिए कि सर्वथा निर्दोष तो केवल परमेश्वर है।

मनुष्यों में कुछ न कुछ खामी पाई जाएगी और काम भले ही उच्च उद्देश्य के लिए किये गये हों काम करने वालों की त्रुटियों के कारण कहीं न कहीं त्रुटि पूर्ण रहेंगे। इस कटु तथ्य को ध्यान में रखते हुये हमें अधिक उपयुक्त और अधिक सही कामों के साथ ताल−मेल बिठाने की नीति अपनानी पड़ेगी। इसी में व्यावहारिकता है और इसी में सुविधा। रहना पड़ेगा। यह क्षुब्धता तब और भी अधिक बढ़ जाएगी जब वे अपने व्यक्तित्व और क्रिया कलाप की खामियाँ देखने का प्रयत्न करेंगे कि और अनुभव करेंगे कि वे जैसे हैं और जो करते हैं वह भी सन्तोषप्रद नहीं हैं। −वाल्टेयर


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