सुन्दरता और लज्जा

May 1969

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भगवान् प्रजापति ने सुन्दरता को जन्म दिया उसके साथ ही लज्जा को भी उत्पन्न कर कहा- “तुम दोनों एक दूसरे की रक्षा करते हुए प्रसन्नता को प्राप्त करो। दोनों सुखपूर्वक करने लगीं।

एक बार सुन्दरता ने लज्जा को डाँटा और कहा-मैं संसार के सुख भोगने के लिये पैदा हुई हूँ, तुम मुझे बार-बार रोका मत करो।” लज्जा ने सिर झुका कर कहा-बहन ऐसा न कहो, मैं तो तुम्हारी सेविका हूँ। भगवान् ने तुम्हारी रक्षा करने के लिये मुझे भेजा है।” सुन्दरता को यह सिखावन अच्छी न लगी उसने कहा-मैं अपनी रक्षा स्वयं कर लूँगी” और डाँट कर लज्जा को अपने पास से भगा दिया। स्वच्छन्द सुन्दरता ने हर कहीं से सुख पाना आरम्भ कर दिया। जिससे उसकी शक्ति घटने लगी। एक दिन अपना सारा सौंदर्य खोकर वह अस्तित्वहीन हो गई, तब उसे अपनी भूल का पता लगा।

प्रजापति ब्रह्मा उसको दुःखी देखकर प्रकट हुये और बोले-पुत्री अब आगे कभी लज्जा का परित्याग न करना नहीं तो फिर ऐसे ही पछताओगी। बहुत अनुनय, आग्रह की तब लज्जा फिर सौंदर्य के पास आ गई।


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