भय से पराजय

March 1969

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पाताल नरेश शम्भर बड़ा संयमी असुर था। उसने देवलोक के सभी राजाओं को जीत कर अपने साम्राज्य का दूर तक विस्तार किया। देवता चिन्तित होकर प्रजापति ब्रह्मा के पास गये और उनसे मुक्ति का उपाय पूछा। ब्रह्मा जी बोले- देवों ( असुरों का एक ही अस्त्र है हिंसा। वे प्राणियों का वध करके अपनी शक्ति बढ़ाते हैं, यही पाप एक दिन उनके विनाश का कारण बनेगा।”

सचमुच वही हुआ। शम्भर के तीन प्रधान सेनापति दाम, व्याल और कट ने सारे राज्य में माँसाहार का प्रचार किया। एक दिन नागरिक वमहिन ने व्याल से पूछा- “जब आप भी माँस खाते हैं तो स्वयं पशुओं का वध भी अपने ही हाथ से किया करें” तीनों ने यह बात स्वीकार कर ली।

दूसरे दिन दाम, तीरे दिन व्याल और चौथे दिन कट एक-एक पशु का वध किया। मारते समय पशु की छटपटाहट देखकर तीनों के मन में मृत्यु का भय समा गया। भय के उत्पन्न होते ही उनकी शक्ति घट चली और एक दिन देवताओं ने उन पर फिर से धावा बोल दिया। इस बार वे भय वश वीरतापूर्वक न लड़ सके और युद्ध में मार डाले गये।


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