VigyapanSuchana

February 1968

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एक अति आवश्यक कर्तव्य

युग-निर्माण आन्दोलन की गतिविधियों को जन्म देने, बढ़ाने, फैलाने, परिपुष्ट करने और सफल बनाने में अपनी दोनों पत्रिकाएं प्रधान माध्यम हैं। अतएव इनके अधिकाधिक पाठक बढ़ाने का प्रयत्न किया जाना चाहिये। प्रबुद्ध परिजन टोली बना कर निकलें। पुराने ग्राहकों से चन्दा वसूल करें और नये बनाने के लिए नमूना लेकर विचारशील लोगों से मिलें। यह अभियान 40 दिन चलाना चाहिये। अपना परिवार और अभियान बढ़ाने से ही नव-निर्माण का पुण्य प्रयोजन सफल होगा।

हमारा कोई सहयोग समर्थन नहीं

गोरे गाँव (बम्बई) निवासी श्री ‘अवधूत’ नामक सज्जन इन दिनों यह विचार कर धन एकत्रित कर रहे हैं कि उन्हें ‘आचार्य जी ने कोई गायत्री देवालय बनाने और 24 लाख रुपया इकट्ठा करने का सपना दिया है।’ यह प्रचार नितान्त असत्य है। हमने कोई सपना या सन्देश नहीं दिया।

कुछ समय पूर्व उन्होंने हमें एक योजना बताई थी और आर्थिक तथा अन्य प्रकार की सुव्यवस्था करने का आश्वासन दिया था। तदनुसार हमने सहज स्वभाव एक आशीर्वाद पत्र भी लिख दिया था। पर अब स्थिति बिल्कुल भिन्न विदित हुई तो वह आशीर्वाद रद्द कर दिया गया है।

सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है कि उनकी योजना तथा धन संग्रह पद्धति में हमारा कोई सहयोग, नियन्त्रण, परामर्श एवं समर्थन नहीं है। जो उन्हें सहयोग दें अपने उत्तरदायित्व पर दें। -श्रीराम शर्मा आचार्य,


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