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December 1966

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संसार के दुःखियों में पहला दुःखी निर्धन है। उससे अधिक दुःखी वह है जिसे किसी का ऋण चुकाना हो। इन दोनों से अधिक दुःखी है सदा रोगी मनुष्य। सबसे दुःखी वह है जिसकी पत्नी दुष्टा हो।

—तुलसी


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