मेरा मुख्य काम पीड़ितों की सेवा करना है-
एक बार महात्मा ईसा अपने विचार प्रकट करने और प्रश्नों का उत्तर देने के लिये एक सभा में बुलाये गये। सभा में पहुँचते ही उन्होंने देखा कि वहाँ उपस्थित एक व्यक्ति हाथ की पीड़ा से बहुत कष्ट पाता हुआ कराह रहा है। महात्मा ईसा तुरन्त उसका उपचार करने में लग गये। उनका यह कृत्य देख विरोधियों ने समझा कि वे सभा की कार्यवाही से कतरा रहे हैं। निदान एक ने व्यंग करते हुये कहा—”ईसा, तू तो शास्त्रार्थ करने आया है फिर उस मुख्य कार्य को छोड़कर हकीमी कैसे करने लगा?”
महात्मा ईसा ने बड़े शान्त भाव से उत्तर दिया—क्या तुममें से कोई ऐसा है, जिसके एक ही भेड़ हो और वह कुयें में गिर जाय तो वह सारा काम छोड़ कर उसे निकालने में न लग जाये?
मेरा मुख्य काम तो पीड़ियों की सेवा करना है, लोगों का दुःख-दर्द दूर करने का है। शास्त्रार्थ तथा व्याख्यान तो जीवन के साधारण कार्यक्रम हैं।