गुरु पूर्णिमा की श्रद्धाञ्जलि

July 1965

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‘अखण्ड-ज्योति परिवार’ द्वारा संचालित ‘युग-निर्माण योजना’ का द्वितीय वर्ष समाप्त होकर इस गुरु पूर्णिमा -13 जुलाई 65 को तृतीय वर्ष आरम्भ होता है। इस पुण्य अवसर पर मैंने अनुभव किया है कि हम ‘अखण्ड-ज्योति’ सदस्यों का आज की विषम परिस्थितियों को बदलने का विशेष उत्तरदायित्व है। इस उत्तरदायित्व को पूरी श्रद्धा और तत्परता के साथ निबाहने का मैं आज के पुण्य पर्व पर प्रतिज्ञापूर्वक व्रत ग्रहण करता हूँ।

‘अखण्ड-ज्योति परिवार’ का कर्मठ सदस्य होने के नाते मुझे ‘एक घण्टा समय एक आना नकद’ की माँग सहर्ष स्वीकार है। जन-जागरण के लिए घर-घर अलख जगाने के लिए एक घण्टा प्रतिदिन के हिसाब से मैं अपना समय लगाया करूंगा। अकेला या टोली बनाकर जैसे भी बनेगा-नव-निर्माण का प्रेरणाप्रद साहित्य पढ़ाने और सुनाने लोगों के पास जाया करूंगा। इस प्रयोजन के लिए प्रचार सामग्री खरीदने में जो आवश्यक खर्च पड़ेगा उसकी पूर्ति, अपने दैनिक न्यूनतम अनुदान-’एक आना’ से करूंगा। समयानुसार इससे अधिक भी खर्च किया करूंगा, ताकि कार्य की अधिक प्रगति सम्भव हो सके।

इस गुरु पूर्णिमा की श्रद्धाञ्जलि के रूप में एक घण्टा समय व एक आना नित्य देने का जो व्रत ले रहा हूँ उसे “आजीवन निबाहने का बल मिले” ऐसी परमात्मा से प्रार्थना है।”

गुरु पूर्णिमा

13 जुलाई, सन् 1965....................................................................

हस्ताक्षर

पूरा नाम :- .......................................................................................................................................

पता:- ...................................................................................................................................................................................................................................................................................................

अखण्ड-ज्योति ग्राहक संख्या :- .............................................................................................................

युग निर्माण योजना (पाक्षिक) ग्राहक संख्या :- ...........................................................................................

जन्म तिथि :- ....................................................................................................................................

*समाप्त*


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