त्याग की वेला

October 1961

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(श्रीमती विद्यावती मिश्र)

जो कुछ भी थोड़ा सुख तेरे पास उसे भी त्याग।

जब तक शेष रहेगा तब तक नहीं मिलेगी शान्ति।

दूर न हो पायेगी तब तक तेरे मन की भ्रान्ति।

प्राप्त न होगा भाव-कुसुम को पावन तुष्टि-पराग

जो कुछ भी थोड़ा सुख तेरे पास उसे भी त्याग।

यह सुख का ही त्याग कहाया गीता में निष्काम।

उर का अन्तर्द्वन्द्व स्वयं की कुरुक्षेत्र संग्राम।

विष न मिलेगा, कभी किसी से मत तू अमृत माँग।

जो कुछ थोड़ा सुख तेरे पास उसे भी त्याग॥

पग को बाँधे मोह स्वप्न का और सत्य की प्यास।

मधुर प्राप्ति लिप्सा को तपकर ले ले तू संन्यास।

वही कृष्ण बन सका कि जिसने पाया पूर्ण पराग।

जा कुछ भी थोड़ा मुख तेरे पास उसे भी त्याग॥


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