मनुष्य जहाँ महापुरुषों को देखता हैं वहीं उसे अपने बड़े होने का ज्ञान आ जाता हैं, और जितना ही सच्चा इस महानता का वर्णन होता है उतना ही निश्चित उसका महान् बन जाना होता हैं।
महान् मन वाले लोग विचारों पर विवाद करते हैं, मध्यम मन वाले वस्तुओं पर तथा क्षुद्र मन वाले व्यक्तियों पर बहस करते हैं।