भावनाएँ मंगलमय हों (kavita)

June 1959

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सब का हो कल्याण, सुखी हों सभी निरोगी हों। पर-सेवा-रत रहें सतत, सद्गुणी सु-योगी हों॥ हमारे पथ ज्योतिर्मय हों! भावनाएँ मंगलमय हों!!

सुख में, दुख में लाभ-हानि में रहें एक से हम। जियें और जीने दें सबको बन समदर्शी हम॥ सदा निष्काम-कर्म रत हों! भावनायें मंगलमय हों!!

काँटों की डाली पर पलकर हँसते सदा रहें। बिखरोयें सौरभ भू पर, नित आतप सदा सहें॥ सुमन से सभी सुमनमय हों! भावनाएँ मंगलमय हों!!

कष्ट और आपत्ति सफलता के सोपान बनें। करें विश्व-हितपान हलाहल शिव-भगवान बनें॥ दिव्य यह प्राण प्राणमय हों! भावनाएँ मंगलमय हों!!

—श्री रामस्वरूप खरे


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