इच्छा को जीतकर शान्ति लाभ करना—सब जीवों पर दया करना यही सब धर्मों का मूल है।
—बुद्ध
धर्म की क्षति जिस अनुपात से होती है, उसी अनुपात से आडम्बर की वृद्धि होती है।
—प्रेमचंद