प्रत्येक पुरुष के भीतर जो एक आदेश देने वाली शक्ति होती है, जिसके शासन से सारे जीवन की लीला नियंत्रित एवं संगठित होती रहती है, वही विवेचना-शक्ति जीवित का देवता है।
—डेलेड्डा