दो बात

August 1950

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

नारायण दो बात को, दीजे सदा बिसार।

करी बुराई और ने, आप कियो उपकार॥

तज पर अवगुण नीर को, क्षीर गुणन सों प्रीत।

हंस संत की सर्वदा, नारायण यह रीत॥

तनिक मान मन में नहीं, सब सों राखत प्यार।

नारायण ता संत पै, बार बार बलिहार॥


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here: