गायत्री महाविज्ञान

August 1950

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(प्रथम भाग और द्वितीय भाग)

दश वर्षों के कठोर परिश्रम से दो हजार ग्रंथों का अध्ययन करके वेदमाता गायत्री के संबंध में अखण्ड ज्योति द्वारा दो दो रुपये मूल्य की पाँच पुस्तकें (गायत्री विज्ञान, गायत्री रहस्य, गायत्री के अनुभव, गायत्री तंत्र, गायत्री योग) प्रकाशित की गई थीं। हर्ष की बात है कि देश भर के विद्वानों ने एक स्वर से इस अद्वितीय साहित्य की भूरि भूरि प्रशंसा की। आध्यात्म प्रेमियों ने भी इस साहित्य को खूब अपनाया, फलस्वरूप डेढ़ वर्ष के भीतर ही इनका प्रथम संस्करण समाप्त हो गया।

अब इन्हें दुबारा छपाया गया है। नये संस्करण में कितने ही सुधार किये हैं। (1) अलग-2 नामों की अपेक्षा इनका नाम एक ही रख दिया गया है “गायत्री महाविज्ञान” (2) पाँच पुस्तकों की बजाय अब यह साहित्य गायत्री महाविज्ञान प्रथम भाग और द्वितीय भाग दो ही भाग में दिये गये हैं। (3) पिछले संस्करण की कितनी ही कम महत्व की बातों को संक्षिप्त किया गया है और नवीन शोधों में प्राप्त हुए कितने ही अत्यन्त महत्वपूर्ण विषयों को बढ़ाया गया है (4) दोनों भागों में कागज बढ़िया ओर मजबूत लगाया गया है (5)मुख पृष्ठ नयनाभिराम रंगीन चित्रों समेत मोटे कार्ड बोर्ड का लगाया गया है। (6) मूल्य 10 की अपेक्षा 7) कर दिया गया है। (7) छपाई सफाई में पहले की अपेक्षा बहुत सुधार हुआ है इन सुधारों से यह ग्रन्थ पाठकों के लिए और भी अधिक उपयोगी बन गया है।

नीचे दोनों भागों की विषय सूची दी जा रही है। जिससे पाठक जान सकेंगे कि उनके लिए यह ग्रन्थ कितना आवश्यक एवं लाभ दायक है।

गायत्री महाविज्ञान (प्रथम भाग) की विषयसूची

(1) वेदमाता गायत्री की उत्पत्ति (2) गायत्री सूक्ष्म शक्तियों का स्रोत है (3) गायत्री साधना से गुप्त शक्ति कोषों का जागरण (4) गायत्री भूलोक की कामधेनु है (5) गायत्री और ब्रह्म एक ही हैं (6) गायत्री साधना से दिव्य लाभ (7) महापुरुषों की गायत्री भक्ति (8) गायत्री साधना से सिद्धियाँ (9) गायत्री साधना से लक्ष्मी, उन्नति तथा सफलता की प्राप्ति (10) गायत्री से दुर्लभ आपत्तियों का निवारण (11) स्त्रियाँ भी साधना से लाभान्वित हो सकती हैं। (12)गायत्री शाप मोचन और उत्कीलन का रहस्य (13) गायत्री और यज्ञोपवीत का घनिष्ठ संबंध (14) गायत्री की निष्काम और सकाम साधना का तत्वज्ञान (15) गायत्री साधना में अनिष्ट का कोई भय नहीं (16) साधना के आवश्यक नियम (17) अकेली गायत्री द्वारा समय संध्या वन्दन (18) पाप नाशक और शक्तिवर्धक गायत्री तप। (19) गायत्री उपासना से समस्त पातकों से मुक्ति (20) विभिन्न प्रयोजनों के लिए विभिन्न साधनाएं (21) गायत्री की नव दुर्गा साधना (22) विभिन्न प्रयोजनों के लिए विभिन्न साधनाएं (23) गायत्री का अर्थ (24) गायत्री से साक्षात्कार और वार्तालाप (25) गायत्री साधना से चमत्कारी सिद्धियाँ (26) गायत्री की वाम मार्गी साधनाएं (28)गायत्री द्वारा कुण्डलिनी जागरण। आदि आदि।

गायत्री महाविज्ञान (द्वितीय भाग)विषय सूची

इस भाग में कितने ही महत्वपूर्ण शास्त्रीय संग्रह भाषाटीका समेत संपादित किये गये हैं। यथा-(1) गायत्री महात्म्य (2) गायत्री गीता (3) गायत्री स्मृति (4) गायत्री उपनिषद् (5) गायत्री रामायण (6) गायत्री पंजर (7) गायत्री संहिता (8) गायत्री तंत्र (9) गायत्री अभिचार (10) चौबीस गायत्री (11) गायत्री पुरश्चरण (12) गायत्री शाप विमोचन (13) गायत्री स्तोत्र (14) गायत्री शाप विमोचन (15) गायत्री तर्पण (16) गायत्री की 24 मुद्राएं (17) गायत्री लहरी (18) गायत्री चालीसा (19) गायत्री सहस्र नाम (20) गायत्री स्तवन। आदि आदि।

इन विषयों के अंतर्गत वह सब जानकारी आ गई है जिसको अपनाने से मनुष्य आशातीत उन्नति कर सकता है। स्वर्गीय सुख का आस्वादन कर सकता है और पाप तापों से छुटकारा पाकर जीवन के चरम लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।

गायत्री को मंत्र राज कहते हैं। उससे वे सब कार्य हो सकते हैं जो अन्य किसी भी वेदोक्त या तंत्रोक्त मंत्रों से होते हैं। गायत्री के 24 अक्षरों में इतना विषद ज्ञान भंडार भरा हुआ है जिसकी विवेचना के लिए ही वेद, शास्त्रों, पुराण, इतिहास, उपनिषद्, ब्राह्मण, आरण्यक, स्मृति, संहिता, सूत्र आदि की रचना हुई है। योग साधना के लिए, आत्मसाक्षात्कार के लिए, ऋद्धि सिद्धियों की प्राप्ति के लिए गायत्री एक श्रेष्ठतम माध्यम है। इन सभी विषयों पर संक्षेप में किन्तु अत्यन्त ही सार गर्भित प्रकाश इस पुस्तक में डाला गया है।

अन्य खर्चों में कमी करके भी ऐसे उपयोगी ग्रन्थ को संग्रह करना चाहिए। गायत्री भारतीय संस्कृति रूपी ज्ञान गंगा की गंगोत्री है। उसके संबंध में अधिकाधिक जानकारी प्राप्त करना प्रत्येक धर्म प्रेमी का कर्तव्य है। यह निश्चित है कि इस पुस्तक को मंगाने में खर्च किया हुआ पैसा कदापि व्यर्थ नहीं जाता। केवल पुस्तक के पठन मात्र से इतनी उपयोगी जानकारी प्राप्त हो जाती है जो पुस्तक के मूल्य की अपेक्षा कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।

दोनों भाग “गायत्री महाविज्ञान” एक प्रकार से भारतीय शास्त्रों में वर्णित समस्त ज्ञान विज्ञान का निचोड़ है। आध्यात्मिक मार्ग में रुचि रखने वाले व्यक्तियों के लिए यह एक अमूल्य साहित्य है। दोनों भागों का मूल्य 3॥)+3॥) = 7)मात्र है। दोनों भाग एक साथ लेने पर डाक खर्च माफ । एक भाग का डाक खर्च 1) है।

गायत्री संबंधी संक्षिप्त साहित्य

उपरोक्त गायत्री महाविज्ञान के कुछ अति आवश्यक प्रकरणों का संक्षिप्त भाग अलग से छोटी पुस्तकों के रूप में भी छाप लिया गया है। इन पुस्तकों के नाम हैं (1) गायत्री ही कामधेनु है (2) गायत्री का वैज्ञानिक आधार (3) गायत्री की सर्व सुलभ साधनाएं (4) वेद शास्त्रों का निचोड़ गायत्री (5) गायत्री के चौदह रत्न दूसरा भाग। मूल्य हर एक का छह-छह आना है। गायत्री विद्या की संक्षिप्त जानकारी कम मूल्य में प्राप्त करने के लिए यह पुस्तकें बड़ी उपयोगी हैं।

एक वितरण करने योग्य पुस्तक

गायत्री प्रचार के लिए एक बहुत ही सस्ती 24 पृष्ठ की छोटी सी “सर्व शक्तिमान गायत्री” नामक पुस्तक दो आना मूल्य की छापी गई है। अनुष्ठानों के अन्त में, ब्रह्म भोज, यज्ञ दक्षिणा एवं महा प्रसाद वितरण के स्थान पर सत्पात्रों को यह पुस्तक वितरण करनी चाहिए। 10) से अधिक मूल्य की पुस्तिकाएं लेने वाले का नाम पता मुख्य पृष्ठ पर छाप कर भेजा जायेगा।


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