Quotation

February 1948

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

जब तक वाक् संयम नहीं होता, तब तक चित्त संयम होना कठिन है, वाक् संयम ही चित् संयम की पूर्व अवस्था है।

*****

पुष्प को अपने आदर्श बनाओ उसका स्वभाव दूसरे को आनन्द देने का है, अपना स्वार्थ नहीं। वह चुपचाप फूलता है और चुपचाप ही झड़ जाता है। देवता पर चढ़ाओ तो कुछ हर्ष नहीं और विलासी के पास ले जाओ तो कुछ शोक नहीं, सेवा ही उसका धर्म है।

*****

अभिमान को इस प्रकार भूल जाओ जिस प्रकार गहरी निद्रा के स्वप्न को जागने पर भूल जाया करते हो। और मृत्यु को इस प्रकार याद रखो, जिस प्रकार दिन प्रति भोजन की याद रखा करते हैं।

----***----


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here: