श्रम से जी न चुराओ।

February 1948

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इतिहास इन सब बातों की साक्षी देता है कि सच्चे सत्पुरुष काम करने से नहीं डरे न डरते हैं। कार्य ही उनके जीवन का ध्येय है। श्री कृष्णभगवान् ने इसी बात का उपदेश किया है। ‘कर्म ब्रह्मोद्भवं विद्धि’ ‘कर्म को ब्रह्म से पैदा हुआ जानो’ तस्मादसक्तः सततं कार्य कर्मसमाचार। असक्तो ह्यचरर्न्कम परमाप्नोति पुरुषः’ इसलिये जो असक्त कर्म करना चाहिये वे असक्त होकर किया करो। जो असक्त होकर कर्म करता है वह परम पद को प्राप्त कर लेता है।” साँसारिक दृष्टि से इस प्रकार कह सकते हैं कि क्लेश का, दुख का, लज्जा आदि का विचार न करके अपने उचित कर्म करने से बड़प्पन प्राप्त होता है। ‘कर्मणै वेहि संसिद्धिमास्थिताजनकादयः-’

कर्म से ही धनकादि महापुरुषों ने उत्तम गति प्राप्त की है फिर ख्याल रखो ‘यद्य दाचरति श्रेष्ठस्तत्त देवेतरोजनः। स यत्प्रमाणं कुरुते लोक-स्वदनुवर्तते।’ इसके उदाहरण प्रत्येक घर में मिलते हैं। उसी मालिक का काम अच्छा होता है जो स्वयं भी काम करने लगता है। यदि तुम्हारा नौकर आलसी हो और काम न करे तो पहले तुम काम करने लग जाओ। आलसी मालिक के नौकर भी आलसी होते हैं। श्रेष्ठ पुरुष जो कुछ करते हैं, उसी का अनुकरण और लोग भी करते हैं। श्रेष्ठ पुरुष जिस बात को उचित समझता है उसी को और लोग भी करने लगते हैं। यह तत्व बिल्कुल शब्दशः ठीक है। मालिक होकर जिस कार्य को तुम अयोग्य समझो उसे नौकर क्यों करे? परन्तु तुम्हें अपना कार्य करने के लिए तत्पर देखकर दूसरे लोग तुम्हारा काम थोड़े पैसे लेकर ही देने को तैयार हो जाते हैं।

रेलवे स्टेशनों पर इस बात का खूब अनुभव प्राप्त होता है। पहले यदि कुली को सामान ले चलने को कहो तो वह चार पैसे की जगह चार आने माँगेगा। यदि तुम अपना असवाब उठा कर ले जाने लगोगे तो फिर तीन ही पैसे में राजी हो जावेगा। भगवान् और भी कहते हैं “हे अर्जुन! इस त्रिभुवन में मुझे प्राप्त करने के लिए कुछ नहीं बचा है, न मुझे कोई अप्राप्त वस्तु प्राप्त करना है। परन्तु यदि मैं आलस्य छोड़कर कर्म न करता रहूँ, तो सब लोग मेरा ही अनुकरण करेंगे, यानी आलसी हो जावेंगे।” ‘अन्त में परिणाम यह होगा कि मेरे हाथ से सब प्रजा नष्ट हो जायगी।’ परमेश्वर का अस्तित्व मानने वाले यदि परमेश्वर का अनुकरण न करें तो वे भी नास्तिक ही हैं। परमेश्वर रात दिन काम करता रहता है तुम भी करो। यही परमेश्वर की पूजा है, यही परमेश्वर का भजन है और इसी तरह से परमेश्वर का मनन होगा।

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