भोजनों का पाचन।

February 1948

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(प्रो. रामचरण महेन्द्र एम. ए.)

अन्न चिकित्सा में सबसे महत्वपूर्ण भाग वह है जिसमें पदार्थों के पाचन काल का वर्गीकरण किया गया है। भोजन खाना तथा उसके पाचन में कितना समय लगेगा, यह तत्व प्रत्येक को जानना चाहिये। गुण धर्म और अन्न सेवन विषयक ज्ञान, मनुष्य के पाचनेन्द्रिय सम्बन्धी प्रश्न जीवन में अत्यन्त महत्वपूर्ण है। जठर में पदार्थों के पाचनकाल की विषमता के कारण मनुष्य शरीर में अनेक रोगों की उत्पत्ति होती है। कुछ पदार्थ पाँच मिनट में ही पच जाते हैं, इसके विपरीत कुछ ऐसे होते हैं जिन्हें पचाने के लिए एक से सात घन्टों की जरूरत होती है। एक ही अवधि में पच जाने वाला भोजन करने से शरीर में आश्चर्यजनक परिवर्तन होता है। हम यहाँ कुछ ऐसे भोजनों की लतिकाएं पाठकों के लाभार्थ प्रस्तुत करते हैं।

पाँच मिनट में पचने वाला भोजन-

शुद्ध शहद जिसमें शक्कर न मिली हुई हो तुरन्त पच जाता है। दूध और मधु-ये दो ही ऐसे पदार्थ हैं, जिनकी सर्वोत्तमता सभी बुद्धिमानों को स्वीकृत है। मधु शीतल कसैला, हलका स्वादिष्ट, अग्निदीपक, वर्ण कारक, कान्तिवर्द्धक, व्रणशोधक, मेधाजनक, वृष्य, रुचिकारक, त्रिदोषनाशक, स्वर शोधक, हृदय के लिए हितकारी है। यह पाँच मिनट में ही पच जाता है। इसके अतिरिक्त कच्चे अंडे का स्वेत भाग, पीला भाग, मक्खन और शक्कर भी सुगमता से पाँच मिनट में पच जाते हैं। मक्खन, शहद और शक्कर का मिश्रण एक साथ रखने में बड़ा लाभ दायक होता है।

एक घन्टे में पचने वाले पदार्थ-

दो घन्टे में पचने वाले पदार्थ-

कुछ पाश्चात्य भोजन विशेषज्ञों के अनुसार प्रायः सब प्रकार की मछलियाँ, कबूतर या फाख्ता का माँस, ताजी डबल रोटी, मुर्गी का माँस, औट नामक अनाज, डिब्बे में बन्द फल दो घन्टे में पच जाते है। फल बहुत शीघ्र पचते हैं पर डिब्बे में बन्द होने से उनमें कुछ रासायनिक परिवर्तन हो जाते हैं अतः वे इतनी जल्दी नहीं पच पाते, जितने पचने चाहिये।

तीन घंटों में पचने वाले पदार्थ-

हम इस श्रेणी में वे भोजन रख सकते हैं जो मस्तिष्क से कार्य लेने वालों के लिए उपयुक्त हैं। जठर की पाचनशक्ति ठीक है, तो ये पदार्थ खाना उत्तम है। इसमें गेहूँ की रोटी, फूल गोबी, पशुओं का जिगर, लब्सटर जाति की मछलियाँ, सूखे हुए मटर दही इत्यादि सम्मिलित हैं।

चार या पाँच घंटों में पचने वाले पदार्थ-

हम हलके भोजन का विवेचन कर चुके हैं। यह बुद्धि जीवियों, दिमागी काम करने वालों के योग्य भोजन है। अब हम उस भोजन पर विचार करेंगे, जिसे शारीरिक परिश्रम करने वाला व्यक्ति, मजदूर इत्यादि ले सकते हैं। स्मरण रखिये, सब प्रकार का तला हुआ अनाज, तरकारियाँ, मछलियाँ, माँस इत्यादि देर से पचते हैं। वहाँ आपने किसी वस्तु को तला कि उसके विटामिन नष्ट हो जाते हैं, जीवाणु तत्व नष्ट हो जाते हैं। बाजार में बिकने वाली चाट पकौड़ी, तली हुई मसालेदार दाल, सेब, अनाज, आलू माँस, बासी रोटियाँ, तले हुए अंडे, घृत वाली सब्जियाँ, मिठाइयाँ, पाँच छह घंटों में पचती हैं। जो मजदूर सारे दिन शारीरिक परिश्रम करता है वह तो किसी प्रकार इन गरिष्ठ चीजों को पचा लेता है किन्तु मस्तिष्क वाले मजदूर इसे कदापि न लें।

कभी न पचने वाले पदार्थ-

कुछ पदार्थ ऐसे हैं जो कभी नहीं पचते। शरीर में रह कर ज्यों के त्यों निकल जाते हैं। ये शरीर की सफाई भर करते हैं। इससे शरीर को किसी प्रकार की हानि नहीं होती बल्कि उलटा यह लाभ होता है कि पुराने सड़ी गली चीजों को साथ लेकर ये निकल जाती हैं। इस लतिका में सब प्रकार के चोकर, नारियल की छूँछ, दालचीनी, मसाले, कस्ट्रोयल शामिल हैं। पत्ती वाले शाक भी शरीर की सफाई का यही काम करते हैं।

सर्वोत्तम भोजन कौन सा है?

साठी चावल, जौ, गेहूँ, मूँग, अरहर, मीठे रस वाली चीजें, सेंधा नमक ये पदार्थ स्वभाव से ही उत्तम होते हैं। फलों में अनार, आँवला, मुनक्का, खजूर, छूहारा, फालसा, खिरनी और बिजौरा नीबू सबसे उत्तम माने गये हैं। पत्तीदार शाकों में बथुवा, पालक, मेंथी, जीवन्ती, पोई अच्छे हैं। दूधों में गोदुग्ध, घृतों में गोघृत, तिलों का तेल, मीठों में शहद सर्वश्रेष्ठ हैं। भोजन में चोकर का कुछ अंश अवश्य रहना चाहिए। चिकनाई के लिए घी, दूध, मट्ठा और मक्खन आवश्यकतानुसार अनिवार्य है। हम अधिक से अधिक तरकारियाँ, पत्तीदार, चीजें, मूली, शलजम, गाजर लें। फलों का छिलका न उतारें। छिलके में भोजन के तत्व रहते हैं। प्रातःकाल फलों का-सन्तरे का या टमाटर का रस, खीरे, नाशपाती, ककड़ी या अंगूर के रस का नाश्ता करें, तो पाचन क्रिया ठीक हो जायगी। जाड़ों में अमरूद खूब खाने की चीज है। इससे कैल्शियम खूब मिलता है। सूखे मेवे, जो खरीद सकते हैं, अवश्य खावें और स्वास्थ्य तथा दीर्घायु प्राप्त करें। आँवला एक ऐसा फल है, जिसकी उपयोगिता कभी भूली नहीं जा सकती। खट्टे फलों में सब से महत्वपूर्ण फल नीबू है। भोजन करने से आधे घन्टे पूर्व एक गिलास में आधा नीबू निचोड़ देने से क्षुधा खूब खुल कर लगती है।

मन्दाग्नि के रोगों में वे ही पदार्थ खाने चाहिए जो हल्के हों और जल्द पच जायं। ऐसे रोगियों को जानना चाहिए कि गेहूँ का आटा दो घंटे में, मक्का दो घंटे में, चावल डेढ़ घंटे में और अरारोट दस मिनट में पचता है। चावल और मूँग की पतली खिचड़ी बहुत हल्की होती है। भोजन के साथ अधिक जल पीने से भोजन ठीक तरह नहीं पचता।


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