पापी से घृणा मत करो, उसके पापों से घृणा करो। पापी की निन्दा मत करो, उस के पापों की निन्दा करो। पापी को निकालो मत, उस के पापों के निकालने का प्रयत्न करो। यह तभी होगा जब कि उससे प्रेम करोगे-उसे शिक्षा दोगे और उसे शुद्ध सत्संग में रखने का उपाय करोगे।
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