जटिल आदतें मनुष्य के मन में किसी विशेष प्रकार की भावना-ग्रन्थि से सन्नद्ध रहती हैं। मनुष्य इन आदतों को छोड़ना चाहते हुए भी नहीं छोड़ पाता। इससे मुक्ति के लिए मनोविश्लेषण की आवश्यकता है।
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मनुष्य के संवेगात्मक जीवन में परिवर्तन होने पर उसकी कुत्सित आदतें सदा के लिए दूर हो जाती हैं।