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January 1946

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पागलपन यथार्थ जीवन की अड़चनों, कठिनाइयों, विषमताओं से दूर भागने का एक प्रयास है। प्रत्येक पागल एक काल्पनिक स्वप्न लोक में विहार किया करता है।

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जिस प्रकार एक मूर्तिकार अनगढ़ पत्थर में से धीरे-धीरे अपनी इच्छानुसार मूर्ति बना लेता है, उसी प्रकार उत्तम जीवन के अभिलाषी साधक को भी अपने अनगढ़ चित्त पर कार्य करना चाहिए, यहाँ तक कि वह उसको अपने आदर्श के अनुसार बना लें।


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