मनोविज्ञान का संदेश

January 1946

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मनोविज्ञान कहता है- “मेरे साथ आइये! आप माता पिता, अध्यापक, उपदेशक, व्यापारी, ग्राहक, विद्यार्थी चाहे कुछ भी हों, चाहे जिस परिस्थिति, जिस हैसियत या किसी किसी उलझन में क्यों न हों मैं आपकी पूरी-पूरी सहायता करूंगा। मेरे बताये हुए मार्ग पर चल कर आप जीवन के प्रत्येक मोर्चे पर अभूतपूर्व सफलता लाभ कर सकेंगे, दूसरों को अपना बनाकर प्रभावित कर सकेंगे। साहित्य, कला एवं विज्ञान का पूर्ण आनन्द उठा सकेंगे।”

यदि आप माँ बाप हैं तो मैं आपको बालकों की मनः क्रिया, अनुभूति, चिंतन, प्रवृत्तियों, कल्पनाओं का ज्ञान देकर आदर्श माँ बाप बनना बताऊँगा। यदि आप अध्यापक हैं तो मुझसे आप शास्त्रीय शिक्षण पद्धति सीख सकेंगे। आप उपदेशक या वक्ता हैं तो मैं दूसरों पर प्रभाव डालने की गुप्त विधियाँ सिखाऊगा। यदि आप व्यापारी, दुकानदार या कार्यालय के मैनेजर हैं तो मैं आपको ग्राहकों, कर्मचारियों तथा नवागंतुकों को अपने हाथ में कर लेना बताऊँगा। मैं आपको मूर्खों, बदमाशों, दोषियों, पागलों की दशा सुधारना, अभागों, पापियों तथा आलसियों का उद्धार करना, छोटे जानवरों का अध्ययन करना, स्वयं अपना संस्कार करना, मानसिक उलझनों को सुलझाना तथा समग्र जन समुदाय के पृष्ठ भाग में कार्य करने वाले महान तत्वों का दिग्दर्शन कराऊँगा।


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