आलस्य से अवनति

September 1945

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याद रखो कि आलसी मनुष्य के लिए किसी प्रकार की उत्कृष्टता प्राप्त करना सर्वथा असम्भव है। आत्मोत्सर्ग, मानसिक उन्नति एवं व्यवसाय में केवल उद्योगी मनुष्य ही सफलता प्राप्त कर सकता है। मनुष्य का जन्म चाहे धनाढ्य या प्रतिष्ठित घर में हो, परन्तु उसे यथार्थ कीर्ति केवल अटूट परिश्रम के द्वारा ही मिल सकती है। धनाढ्य मनुष्य रुपया देकर दूसरों से अपना काम करा सकता है, परन्तु वह दूसरों के द्वारा अपना विचार कार्य नहीं करा सकता और न वह किसी प्रकार की आत्मोन्नति ही खरीद सकता है।

इसलिए स्पष्ट है कि सर्वोत्तम उन्नति के लिए यह जरूरी नहीं है कि मनुष्य धनी हो अथवा उसके पास सब तरह के साधन मौजूद हों। यदि ऐसा तो संसार सब युगों में उन मनुष्यों का ऋणी न होता, जिन्होंने निम्न श्रेणी से उन्नति की है। जो मनुष्य आलस्य और ऐश आराम में अपने दिन बिताते हैं उनको उद्योग करने अथवा कठिनाइयों का सामना करने की आदत नहीं पड़ती और न उनको उस शक्ति का ज्ञान होता है जो जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए परम आवश्यक है। गरीबी को लोग मुसीबत समझते हैं, परन्तु वास्तव में बात यह है कि यदि मनुष्य दृढ़तापूर्वक अपने पैरों पर खड़ा रहे तो वह गरीबी उसके लिए आशीर्वाद हो सकती है। गरीबी मनुष्य को संसार के उस युद्ध के लिए तैयार करती है, जिसमें यद्यपि कुछ लोग नीचता दिखाकर विलास प्रिय हो जाते हैं, परन्तु समझदार और सच्चे हृदय वाले मनुष्य बलपूर्वक और विश्वास पूर्वक लड़ते हैं और सफलता प्राप्त करते हैं।


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