सादगी और सचाई

September 1945

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सच्चे मनुष्य के वस्त्र साधारण होते हैं। वस्त्रों में वह बहुत कम व्यय करता है। उसके वस्त्र सस्ते और संख्या में भी कम होते हैं। किन्तु वह मैले और गंदे नहीं होते।

वस्त्र के विषय में अपनी रुचि को अत्यन्त सरल बना लो। अपने को बहुमूल्य वस्त्रों से सजाने वाले उन व्यर्थ के छैलाओं और रंगीलों के समान मत बनो जो अपने धन का प्रदर्शन करना अथवा चालाकी से अपने मुख पर झूठा सौंदर्य लाना चाहते हैं। वास्तविक सौंदर्य को सजाने के लिए वस्त्रों की आवश्यकता नहीं होती केवल कुरूप स्त्री-पुरुषों का ही यह विश्वास होता है कि उत्तम वस्त्रों में उनकी कुरूपता छिप जावेगी।

इस बात को स्मरण रखो कि बजाज और दर्जी आपके आकार में लेशमात्र भी परिवर्तन नहीं कर सकता। आप कितने भी बढ़िया वस्त्र पहन लो, जो कुछ हो वही रहोगे। सौंदर्य के विषय में यह है कि उत्तम स्वास्थ्य और शुद्ध आचरण, पैरिस के अच्छे से अच्छे क्रीम और पाउडर से भी अधिक सौंदर्य बढ़ाते हैं। गाजर के खाने से आपका रूप और सभी शृंगार सामग्री की अपेक्षा इतना अधिक सुन्दर हो जावेगा कि उत्तम से उत्तम वस्त्राभूषण तथा सुगंधि आदि से शृंगार करने वाली नवयुवतियों का भी इतना नहीं हो सकता। अतएव वस्त्रों में सरलता को ही पसन्द करो। बहुव्यय, कृत्रिमता और अत्यन्त बनाव शृंगार को छोड़ दो, इससे बहुत शीघ्र घृणा और उपहास सहन करना पड़ता है।

=कोटेशन============================

पाप में किसी को आनन्द नहीं मिला और न दुर्भावनाओं के बीच किसी ने शान्ति प्राप्त की है।

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