जो मनुष्य अपने भाई से तो प्यार करता नहीं है और कहता है कि मैं ईश्वर से प्यार करता हूँ। वह झूठ बोलता है। जो देखा उससे तो द्वेष रखता है तो जो अदृश्य है उससे प्यार कैसे करेगा?
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जो श्रेष्ठ कार्य करता है वह ईश्वर के खजाने से मय ब्याज के पाता है।
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सज्जन मनुष्य बेईमानी से ऊँचा चढ़ना पसन्द नहीं करते। वे अपनी ईमानदारी पर ही रहते हैं। चाहे नीचे ही क्यों न बैठना पड़े।