अल्लाह की राह में खर्च करो और अपने हाथों अपने को विनाश में न डालो और उपकार करो। निस्संदेह अल्लाह उपकारी लोगों को मित्र बनाता है।
-सूरये बकर 1। 2। 23
गुप्त तथा प्रकट पापों को छोड़ दो, जो लोग पाप कमाते हैं उनको अपने कृत्य का परिणाम शीघ्र प्राप्त हो जाएगा।
- सूरये माइदा 2। 8। 14। 11
नम्रता से उत्तर देना और क्षमा करना उस दान से अधिक उत्तम है जिसके पीछे किसी प्रकार का कष्ट हो। अल्लाह धनी और सहनशील है।
-सूरये बकर 1। 2। 36। 3
जो लोग अपने धन को अल्लाह के मार्ग में खर्च करते हैं और फिर किसी पर अहसान नहीं जताते और न लेने वालों को किसी प्रकार का कष्ट पहुँचाते हैं, उनको उनके दिये का फल उनके पालनकर्ता की ओर से प्राप्त होगा और न तो उन पर किसी प्रकार का आतंक होगा और न वे शोकग्रस्त ही होंगे।
-सूरये बकर 1। 2। 36। 2
सत्य को सत्य (सिद्ध) कर और मिथ्या को मिथ्या (सिद्ध) कर, भले ही पापी सहमत न होंगे।
-सुरये अन्फाल 2। 9। 1
जो मनुष्य तुम्हारे साथ युद्ध करे, तुम भी अल्लाह के मार्ग में उनसे युद्ध करो और अत्याचार न करो। निस्संदेह अल्लाह अत्याचारियों से प्रसन्न नहीं होता।
- सूरये बकर 1। 2। 24