[नेकी की राह पर चलो]
हे वीर, तू बुराई करने पर क्यों बड़ाई मारता है। ईश्वर की करुणा तो लगातार बनी रहती है। तेरी जीभ दुष्टता गढ़ती है। सान धरे हुए छुरे की नाई वह छल का काम करती है तू भलाई से बढ़कर बुराई में और धर्म की बात से बढ़कर झूठ में प्रीति रखता है। सो हे छली जीव वाले। तू सब विनाश करने वाले वचनों में प्रीति रखता है। निश्च्य ईश्वर तुझे सदा के लिए नाश कर देगा।
भजन संहिता 52।1,5।
हे प्रभु! दयावन्त के साथ तू अपने को दयावन्त दिखाता, खरे मनुष्य के साथ तू अपने को खरा दिखाता है, शुद्ध के साथ तू अपने को शुद्ध दिखाता है और टेढ़े के साथ तू तिरछा बनता है, क्यों कि तू दीन लोगों को तो बचाता है, पर घमंड भरी आँखों को नीची करता है।
भजन संहिता 18।25, 27।