खिन्न मत हूजिए।

February 1943

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

आपको गरीबी ने घेर रखा है पैसे का अभाव रहता है, आवश्यक खर्चों की जरूरतें पूरी नहीं होतीं, आप दुखी रहते हैं, पर हम पूछते हैं कि क्या दुखी रहने से आपकी दरिद्रता दूर हो जाएगी? क्या इससे अधिक आमदनी होने लगेगी? अगर आप समझते हैं कि ‘हाँ हो जायगी’ तो आप भूल करते हैं।

आप कम पढ़े हैं विद्या पास नहीं हैं, बीमारी ने घेर रखा है, शरीर क्षीण होता जाता है, काम बिगड़ जाते हैं, सफलता नहीं मिलती, विघ्न उपस्थित हैं, वियोग सहना पड़ रहा है, कलह रहता है, ठगी और विश्वासघात का सामना करना पड़ता है। अत्याचार और उत्पीड़न के शिकार हैं या ऐसे ही किसी कारण वश आप खिन्न हो रहे हैं, चित्त उदास रहता है, चिन्ता सताती है, संसार त्यागने की इच्छा होती है, आँखों से आँसुओं की धारा बहती है। हम पूछते हैं कि क्या यही मार्ग इन दुःखद परिस्थितियों से बचने का है? क्या आप शोक संताप में डूबे रहकर इन कष्टों को हटाना चाहते हैं? क्या खिन्न रहने से दुखों का अन्त हो जाएगा?

बीते कल की अप्रिय घटनाओं पर आँसू बहाना, आने वाले कल को ठीक वैसा ही बनाना है। भूत कालीन कठिनाइयों के त्रास से इस समय भी संतप्त रहना, इसका अर्थ तो यह है कि भविष्य में भी उन्हीं बातों की पुनरावृत्ति आप चाहते हैं, इसलिए उठिये खिन्नता और उदासीनता को दूर भगा दीजिए। बीते पर रोना इससे क्या लाभ? चलिये! आने वाले कल का नये ढंग से निर्माण कीजिये। शोक, सन्ताप, चिन्ता, निराशा और उदासीनता को परित्याग करके प्रसन्नता को ग्रहण कीजिए।

उठिये, खड़े हूजिए और एक कदम आगे बढ़ाइए। प्रभु ने आपको रोने के लिए नहीं प्रसन्न रहने के उद्देश्य से यहाँ भेजा है। रूखी रोटी खाकर हँसिये और कल चुपड़ी खाने का प्रयत्न कीजिए। आज की परिस्थिति पर संतुष्ट रहिये और कल के लिये नया आयोजन कीजिए। खिन्न मत मत हूजिए, क्योंकि हम आपको एक दुख हरण गुप्त मन्त्र की दीक्षा दे रहे हैं। सुनिये! विचारिये और गाँठ बाँध लीजिए कि ‘हँसता हुआ भविष्य, हँसते हुए चेहरे का पुत्र है। जो प्रसन्न रहेगा उसे प्रसन्न रखने वाली परिस्थितियाँ भी मिलेंगी।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118