एक बार मेरे पास दक्षिण प्रान्त से मराठी भाषा में एक पत्र आया। उसे मुझे दूसरों से पढ़वाना पड़ा। साथ ही यह इच्छा उत्पन्न हुई कि इस भाषा को तो सीखना चाहिए। बस! मैंने निश्चय किया और उसी दिन से मराठी पढ़ना आरम्भ कर दिया। तीन महीने में मैंने उस भाषा को अच्छी तरह सीख लिया और जो पत्र मेरे पास आया था, उसका उत्तर स्वयं मैंने अपने हाथों से मराठी में ही दिया। मित्रों ने पूछा कि क्या किसी जादू से आप इतनी जल्दी पढ़ गये? मैंने कहा- तीन मंत्र मुझे सिद्ध हैं, उनकी सहायता से मेरे सब काम पूरे हो जाते हैं। वे तीन मंत्र हैं (1) दृढ़ इच्छा (2) नियत समय पर काम करना (3) कठोर परिश्रम। इन मंत्रों से अन्य व्यक्ति भी मेरी ही भाँति लाभ उठा सकते हैं।
-राजाराम मोहन राम