जिस प्रकार एक मूर्ख माली पौधों को बार बार काट कर उसे बढ़ने नहीं देता है। उसी तरह मूर्ख मनुष्यों द्वारा बच्चे का हर समय विरोध हो और उन्हें अपनी आँतरिक न्याय बुद्धि को व्यवहार में लाने का अवसर न दिया जाए तो उनके लिए दुर्बल तथा परावलम्बी के सिवाय और कुछ बनना असम्भव है।
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जो भविष्य में महान प्रभावशाली और प्रतिष्ठित पदों पर पहुँचना चाहते हैं। उन्हें निश्चय से अपने व्यक्तित्व को दृढ़ करना होगा। व्यक्ति त्व को बनाना होगा।