एक धन कुबेर ने कहा कि- मैंनें धन कमाया और अपने ही लाभ के लिए खर्च किया, फलस्वरुप जिन्दगी का सारा आनन्द खो बैठा। अब मैं उतना सुखी नहीं हूँ जितना गरीबी की अवस्था में रहता था।
अपना जीवन फूल जैसा बनाओ। वह अपनी सुगन्धि से संसार पर आनन्द बरसाने के लिए पैदा हुआ होता है। अपने जीवन को दूसरों की भलाई में लगा कर तुम भी पुष्प जैसा जीवन बना सकते हो।
प्रकृति को देखो, वह सबकी खुले हाथों से निरन्तर हवा देती रहती है फिर भी उसे न तो घाटा होता है और न अभाव सताता है। अपने लिए ही सब कुछ चाहने वाला और बड़ा लोभ करने वाला एक दिन सब कुछ खो बैठता है।