गीत संजीवनी-13

तुम भोले भाले शम्भु

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तुम भोले भाले शम्भो, भस्मी रमाने वाले।
हे नाथ! भक्त जन के, संकट मिटाने वाले॥

तुमने सुधा सहित सब, सम्पत्ति बाँट डाली।
अवघड़ उदार दानी, रहते हो हाथ खाली॥
जगहित स्वयं गरल भी, मुख से लगाने वाले॥

है वेश तो अशिव पर, कल्याण रूप तुम हो।
तुम आशुतोष भी हो, तप, त्याग रूप तुम हो॥
पिछड़ों को साथ लेकर, आगे बढ़ाने वाले॥

तुम सन्त सज्जनों के, रक्षक हो सदाशिव हो।
हो रुद्र रूप भी तुम, यदि सामने अशिव हो॥
हो ज्ञान भावना की, धारा बहाने वाले॥

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