गीत संजीवनी-13

होली आई रे आई रे

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होली आई रे आई रे, होली आई रे।
मस्ती लाई रे लाई रे, मस्ती लाई रे॥

कोई बजावे ढोल मंजीरा, कोई बजावे चंग।
प्रेमभाव को लेकर आई, अन्तर की उमंग॥

मस्ती खोज रहे क्यों बाहर, क्यों पीते हो भंग।
अन्तर मन में लहर उठे तो, थिरक उठे हर अंग॥

कोई लगावे रोली सिर पर, कोई लगावे रंग।
संयम को अपनाओ भाई, छोड़ो सब हुड़दंग॥

कोई उछाले कीच जोर से, कोई दुखावे अंग।
बैरी को भी गले लगाकर, प्रकट करो तरंग॥

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