गीत संजीवनी-13

शिव शक्ति रूप भगवन्

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शिव शक्ति रूप भगवन्, डमरू बजाने वाले।
शुभ योगपथ दिखा दो, योगी कहाने वाले॥

विष हो या फिर हलाहल, सबको गले उतारा।
हो नीलकण्ठ स्वामी, जग ने तुम्हें पुकारा॥
संजीवनी पिला दो, विषपान करने वाले॥

पिछड़े हैं जो जगत् में, शिव गण वही कहाते।
ऊपर उठाया उनको, शिवमय उन्हें बनाते॥
सद्प्रेरणा हमें दो, भस्मी रमाने वाले॥

शिवरात्रि पर्व पावन, संकल्प शुभ जगा लें।
चिन्तन चरित्र में भी- शिव भावना बढ़ा लें॥
निर्मल बना दो जीवन, गंगा बहाने वाले॥

तुम हो अनादि भगवन्- कण, कण में तुम समाये।
गायें तुम्हारी महिमा, हर मन में तुम ही छाये॥
सन्ताप को मिटा दो, त्रय ताप हरने वाले॥

हे! महाकाल भगवन्, जग के तुम्हीं हो स्वामी।
हे! रुद्र, हे! नटेश्वर, दर्शन दो हमको स्वामी॥
ध्यानी हमें बना दो,ध्यानी कहाने वाले॥

मुक्तक-

हे! योगेश्वर भक्तजनों में, शिव अनुशासित शक्ति जगाओ।
हे! सत् ,चित् ,आनन्द रूप, प्रभु इनके सब सन्ताप मिटाओ॥
जीवन को नश्वर समझ, कर लो सद्उपयोग।
भस्म रमाकर शिव सदा, करते यही प्रयोग॥

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