गीत संजीवनी-13

रंग बरसे मस्त मनायें

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रंग बरसे मस्त मनायें होली रंग बरसे।

ना तन में सुस्ती ना मन में उदासी।
राग रंग रच दें ना चिन्ता जरा सी॥
मस्तों की निकल पड़ी टोली॥ रंग बरसे......॥

ऐसा सजायें ये जीवन का मेला।
कोई न दीन हीन कोई अकेला॥
भेदभाव छोड़ बनें हमजोली॥ रंग बरसे......॥

कीच ना उछालें ना मन को दुखायें।
सबको उठायें गले से लगायें॥
प्रेम से लगायें चलें रंग रोली॥ रंग......॥

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