दुनिया नष्ट नहीं होगी, श्रेष्ठतर बनेगी

जागेंगी सहकारी प्रवृत्तियाँ

<<   |   <   | |   >   |   >>
एक नया गृह-उद्योग ‘‘लार्जर फैमिली’’ सुसंचालित परिवार - के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। आज के संयुक्त परिवार तो अनुशासनहीनता और आचार-संहिता के अभाव में स्वार्थों की खींचतान के अखाड़े बन गये हैं। उत्तराधिकार की ललक तथा काम न करने में बड़प्पन समझे जाने के कारण अनेकों विग्रह खड़े हो रहे हैं। जिस स्वरूप में संयुक्त परिवार इन दिनों चल रहे हैं वे अपनी प्रतिगामिता और अस्त-व्यस्तता के कारण अधिक दिन न चल सकेंगे और संयुक्त परिवार पद्धति पाश्चात्य देशों की तरह समाप्त हो जाने का संकट बढ़ेगा, पर उसे वैज्ञानिक, शास्त्रीय, व्यावहारिक एवं सुविधाजनक बनाने का दूसरा नया तरीका ‘‘लार्जर फैमिली’’ एक सहकारी संस्था के रूप में विकसित हो सकेगी। मोहल्ले के सभी काम मिल-जुलकर एक स्थान पर सम्पन्न हो। भोजन बनाना, कपड़े धोना, बच्चे खिलाना, साझे की दुकान, ट्यूशन, स्कूल, मनोरंजन आदि दैनिक जीवन की सभी आवश्यकताएँ अलग-अलग पूरी करते रहने के स्थान पर यदि संयुक्त रूप से पारस्परिक श्रम नियोजित करके पूरी की जाने लगें तो स्थान, समय, श्रम, पैसे की भी भारी बचत हो सकती है एवं अनेकों उपयोगी कार्य सम्पन्न होते रह सकते हैं। व्यक्तिगत सुविधा स्वतन्त्रता तो इसमें है ही, पारिवारिकता एवं सहकारिता का लाभ मिलता रहेगा। ऐसा प्रचलन चल पड़ने पर सारे समुदाय की शक्ति का अपव्यय बचेगा एवं उसे राष्ट्र के रचनात्मक कार्यों में लगाया जा सकेगा।

    व्यक्ति, परिवार और समाज की ऐसी आदर्श संरचना को मात्र कल्पना या यूटोपिया न माना जाय, एक द्रष्टा की ऐसी भविष्यवाणी मानी जाय जो आगामी कुछ दशकों में ही साकार होकर रहेगी। इसे कौन सम्पन्न करेगा? यह प्रश्न गौण है। हर वह व्यक्ति जिसमें उच्चस्तरीय भावनाएँ बीज रूप में विद्यमान हैं, परोक्ष जगत् की सहायता से प्रज्ञायुग को अवतरित करने की भूमिका निभाने हेतु पुरुषार्थ करेगा। वे कषाय-कल्मष, लोभ-मोह के बन्धन जो उसे आज घेरे हैं, आने वाले कल में अपने पाश से मुक्त कर चुके होंगे। ऐसी पीढ़ी जन्म ले चुकी है एवं विकसित हो रही है। हमारी सूक्ष्मीकरण साधना उसे वैसा ही पोषण देने में नियोजित होगी जैसा अपेक्षित है।



<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118