इक्कीसवीं सदी बनाम उज्ज्वल भविष्य-भाग १

अंत:स्फुरणा बनाम भविष्य बोध

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जाने और सीखने की प्रक्रिया दूसरों के सान्निध्य में ही सम्पन्न होती है। यात्रा, पर्यटन भी इस उद्देश्य की कुछ हद तक पूर्ति करते हैं। इतने पर भी मनुष्य के अन्तराल में निहित रहस्यमयी शक्तियों द्वारा अन्तःस्फुरणा के रूप में मिलने वाली जानकारी को भी विस्मृत नहीं कर देना चाहिए। इनका कोई प्रत्यक्ष आधार न दीखते हुए भी इसमें उतनी ही सच्चाई है, जितनी दिन के आरम्भ और अन्त में, क्रमश: सूर्य के उदयाचल से निकलने और अस्ताचल में छिपने में है।

    आरम्भ काल में अग्नि का आविष्कार इसी अन्तःस्फुरणा की देन थी। जिसे यह स्फुरणा हुई थी, उसने घर्षण का प्रयोग किया और अग्नि खोज ली। सूत कातना और उससे कपड़े बनाना इतना ज्ञान मानव को आरम्भ में अन्तःस्फुरणा द्वारा ही हुआ होगा। भाषा, लिपि, उच्चारण यहाँ तक कि अविज्ञात की असाधारण एवं अभूतपूर्व समझी जाने वाली अगणित शाखाओं, खोजो आविष्कारों का श्रीगणेश इसी आधार पर सम्भव हुआ। एक बार सुयोग बन जाने के बाद तो उस खोज में सुधार- परिवर्तन कर सकना सम्भव हो जाता है, पर जहाँ कोई प्रत्यक्ष आधार ही न हो, वहाँ इस प्रकार की अनायास सूझ को, व्यक्ति अथवा शक्ति की रहस्यमयी उपलब्धि ही माना जा सकता है।

    ‘‘इलहाम’’ अपौरुषेय शब्दों द्वारा धर्म ग्रन्थों के श्रुति खण्ड को, ऐसी ही उपलब्धि के रूप में अभिव्यक्त किया गया है और कहा गया है कि यह मनःशक्ति सम्पन्न व्यक्ति के माध्यम से ईश्वरीय वाणी का प्राक् है। इस प्रक्रिया में चाहे वे पैगम्बर हों, देवदूत हों अथवा अतीन्द्रिय क्षमता सम्पन्न मनीषी, उन्हें व्यक्ति न मानकर एक प्रचण्ड विचार प्रवाह का प्रतीक माना गया व उनके माध्यम से भविष्य में क्या कुछ सम्पन्न होने वाला है, इसकी अभिव्यक्ति की गई। हर धर्म, समुदाय में ऐसे इल्हाम रहस्यमयी अन्तःस्फुरणा के रूप में देख समझे जा सकते हैं।

    भविष्य- ज्ञान प्रोफेसी, पूर्वाभास इसी श्रेणी में सम्मिलित माने जाते हैं। उसके कथित रूप में घटित होने पर मान लिया जाता है कि निराधार नहीं है। उसके पीछे कोई न कोई सुनिश्चित आधार अवश्य होना चाहिए। भविष्य कथन का यह आधार चाहे जिस भी विद्या पर अवलम्बित हो, उसे आश्चर्यजनक अद्भुत या दैवी ही समझा जाता रहा है। पर अब वैज्ञानिक भी इस बात को स्वीकारने लगे हैं कि वर्तमान के अध्ययन द्वारा भविष्य के बारे में बहुत कुछ बताया जा रहा है। इस सम्बन्ध में भविष्य विज्ञान (फ्यूचरालॉजी) की एक पृथक शाखा का भी विकास हो चुका है। इसे भविष्यवाणी तंत्र का एक अंग माना जाए, तो कोई अत्युक्ति न होगी।

    इसी संदर्भ में विश्व के मूर्धन्य लेखकों की कई पुस्तकें यथा- एच जी. वेल्स की ‘शेप ऑफ दि थिंग्स टु कम’ ‘टाइम मशीन तथा बी. एफ. स्किनर की ‘बाल्डन टू’ ‘ब्रेव न्यू वर्ल्ड एवं ‘१९८४’ पिछले दिनों प्रकाशित हुई हैं। उन्हें देखते हुए ऐसा लगता है कि जैसे उन्होंने स्वयं भविष्य की झाँकी की हो और बाद में उसे ही पुस्तकाकार रूप दे दिया हो।

    फ्यूचरालॉजी या भविष्य विज्ञान- अब एक पूर्णतः विज्ञान सम्मत विधा मानी जाने लगी है। पूर्व में कभी वायरलैस, माइक्रोचिप्स, रोबोट, कम्प्यूटर, अन्तरिक्ष में तैराकी व अन्यान्य ग्रहों पर यान भेजे जाने की सम्भावनाओं को काल्पनिक ही माना गया था, पर क्रमश: समय गुजरने के साथ ही यह सब होता चला गया। जिन- जिन विद्वानों ने कम्प्यूटर के आँकड़ों को आधार बनाकर भविष्य के सम्बन्ध में लिखा है, वे यही कहते हैं कि आज का चिन्तन, निर्धारण भविष्य में सही निकले, तो कोई आश्चर्य नहीं किया जाना चाहिए। इसका कारण बताते हुए मनीषी कहते हैं कि प्रवाह सदा एक सा नहीं रहता। उसमें समय- समय पर उतार- चढ़ाव आते रहते हैं। हवा कभी तूफान बनती है, तो कभी बवंडर- चक्रवात का रूप धारण कर लेती है। इन्हीं संभावनाओं को दृष्टिगत रखते हुए लेखकगण- गुंथर स्टेट फ्रिटजौफ काप्रा, एल्विन टॉफलर ने अपनी कृतियों क्रमश: ‘कमिंग आफ दि गोल्ड एज ‘दि टर्निंग प्वाइंट ‘एण्ड फ्यूचर शॉट में इक्कीसवीं सदी के आरम्भ को व्यापक परिवर्तनों का काल और अपने आने वाले समय में सुख- समृद्धि होने की संभावना प्रकट की है।

    इन सब सन्दर्भों, कथनों, तथ्यों का उद्देश्य मात्र इतना है कि लोगों में यह विश्वास पैदा किये जा सके कि आगे आने वाला समय भयावह- त्रासदी भरा नहीं है, सुखद है, इक्कीसवीं सदी वैसी नहीं होगी, जैसी वर्तमान संकट भरी परिस्थितियों को देखकर अंदाज लगाया जाता है, इस आशावाद का मूल आधार है, मानवी विभूति अंतःस्फुरणा, पूर्वानुमान लगा पाने की दिव्य सामर्थ्य जिसे कोई भी मनुष्य अपने अंदर जगा सकता है। आज जो भी कुछ भविष्य के सम्बन्ध में उज्ज्वल संभावनाएँ व्यक्त करते हुए कहा जा रहा है, उसकी जड़ें भी वहीं विद्यमान हैं। परोक्ष जगत में चल रही हलचलें व व्यापक स्तर पर किये जा रहे प्रयास- पुरुषार्थ जो प्रत्यक्ष भले ही दृष्टिगोचर न हों, उनकी परिणति निश्चित ही सुखद होगी।
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