श्रमनिष्ठा और उसकी परिणिति

September 1980

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

अनवरत श्रम और अनियमित दिनचर्या के कारण अमेरिका के अश्वपति जोंस का स्वास्थ्य गिरता गया। पचास वर्ष की अवस्था में वे रक्तचाप एवं अजीर्ण से ग्रस्त हो गए। अमेरिका के मूर्धन्य चिकित्सकों से उन्होंने चिकित्सा कराई, पर रोग से मुक्ति न मिल सकी। विदेशों से भी सर्म्पक साधा किन्तु स्वास्थ्य में कोई सुधार न हो सका। उन्हें मृत्यु सामने खड़ी दिखाई देने लगी। निराश होकर जोंस ने व्यवसाय में भी रुचि लेना बन्द कर दिया। स्वास्थ्य निरन्तर गिरता जा रहा था। उन दिनों मनोचिकित्सकों के क्षेत्र में फ्लेमिंग का नाम शिखर पर था। जोंस के एक मित्र ने उन्हें फ्लेमिंग से सर्म्पक करने का परामर्श दिया। मनोचिकित्सा में आस्था ना होते भी एक बार जोंस ने परीक्षण करने की दृष्टि से फ्लेमिंग से मिलना ही उचित समक्षा। इसके पूर्व भी जोंस ने अनेकों मनोवैज्ञानिकों से चिकित्सा करायी थी। पर कोई सुधार ना होने के कारण उनकी आस्था जाती रही। किन्तु फ्लेमिंग की ख्वाति से प्रभावित होकर उन्होंने स्वयं को दिखाने का निर्णय लिया।

पूर्व निर्धारित समय पर जोंस फ्लेमिंग के पास जा पहुँचे। रोग का पूरा विवरण सुनने के पश्चात फ्लेमिंग ने पूँछा- “क्या आपको मनोचिकित्सा पद्धति में आस्था है ? जोंस ने उत्तर दिया कि “अनेकों मनोचिकित्सकों से मुझे असफलता ही मिली है। आपकी ख्वाति सुनकर सोचा आपको भी दिखा लूँ।” फ्लेमिंग ने दुबारा आने का परामर्श देकर वापिस भेज दिया। इस विचित्र व्यवहार पर जोंस को आर्श्चय हुआ और साथ ही क्रोध भी। बिना कोई उपचार का परामर्श दिये वापिस लौटा देने तथा पुनः आने के लिए कहने पर जोंस विचार करते रहे। कोई कारण समझ में नहीं आया। इस बीच अन्य चिकित्सकों से उपचार कराते रहे। जिस मित्र ने फ्लेमिंग से मिलने का सुझाव दिया था। वह पुनः मिला तथा जोंस की स्थिति जाननी चाही। जोंस ने पूरी वार्ता सुनायी। मित्र फ्लेमिंग को जानता था। उसे विश्वास था कि फ्लेमिंग का कोई सुझाव निरर्थक नहीं होगा। उसका कोई न कोई उद्देश्य अवश्य होगा। उसने जोंस को पुनः फ्लेमिंग से मिलने का आग्रह किया। इस बार मिलने पर फ्लेमिंग के सेक्रेटरी ने तीन दिन बाद मिलने को कहा। नियत समय पर पहुचने पर फ्लेमिंग ने पूँछा “क्या आप सचमुच कष्ट मुक्त होना चाहते हैं ? जोंस को उस प्रश्न पर क्रोध आया, पर नियंत्रित करते हुए उत्तर दिया “इस प्रकार के प्रश्न द्वारा आप अपना और मेरा दोनों का समय नष्ट क्यों कर रहे हैं। मनोचिकित्सक ने फ्लेमिंग ने पुनः यह कहते हुए लौटा दिया कि जब आपकी मेरे ऊपर आस्था दृढ़ हो जाए तभी चिकित्सा को आएं।

जोंस को फ्लेमिंग के विचित्र व्यवहार में अवरुचि उत्पन्न हुई। फ्लेमिंग के चरित्र एवं चिकित्सा के सन्दर्भी में प्रामाणिकता प्राप्त करने के उद्देश्य से यह कार्य गुप्तचरी करने वाली एक फर्म को सौंपा। इसके लिए जोंस को मोटी रकम भी खर्च करनी पड़ी। फर्म ने रिपोर्ट दी कि “फ्लेमिंगमूर्धन्य मनोचिकित्सक हैं। उनके पास आने वाले अधिकाँश रोगी ठीक होकर जा चुके हैं। उनमें पैसे के प्रति थोड़ा भी लालच नहीं है। रिपोर्ट के द्वारा जोंस की आस्था फ्लेमिंग के प्रति सुदृढ़ हो गई।

इस बार फ्लेमिंग ने चिकित्सा करना स्वीकार कर लिया। बातचीत की अवधि में जोंस ने निकटवर्ती झील के किनारे एक सुन्दर मकान बनवाने की इच्छा प्रकट की। भली-भाँति देखने के बाद फ्लेमिंग ने जोंस को परामर्श दिया कि मकान का एक कमरा वह स्वयं अपने हाथों से बनायें, चाहे इसमें कितना भी समय क्यों न लग जाय। उपचार पूँछने पर मनःचिकित्सक ने उक्त कमरा बनाने के उपरान्त आने को कहा। निर्देश को उपचार का अंग मानकर जोंस ने निर्माण कार्य आरम्भ कर दिया। मकान निर्माण सभी यन्त्र खरीद लिये। कला सीखी। छै माह के निरन्तर श्रम से एक कमरा तैयार हो गया। जोंस ने किसी अन्य का सहयोग नहीं लिया। जोंस की अनुपस्थिति के कारण व्यवसाय को भी धक्का लगा। पर उसकी चिन्ता न करते हुए अपने निर्माण कार्य में जुटे रहे। इस बीच जोंस का रोग समाप्त हो गया और स्वास्थ्य में अत्यधिक सुधार हुआ। वह प्रसन्न, स्वस्थ एवं सन्तुष्ट था।

मनोचिकित्सक के पास मिलने चल पडे। अपनी पूरी रिपोर्ट दी। तथा रोग मुक्ति एवं स्वास्थ्य सर्म्बधन का कारण पूँछा, ‘फ्लेमिंग ने उत्तर दिया, “श्रम के प्रति आस्था ही आपके आरोग्य का कारण हुई। इसके बाद व्यवसाय के साथ शारीरिक श्रम उनकी दिनचर्या का अ्रग बन गया। वे जीवनपर्यन्त स्वस्थ बने रहे। अधिकाँश रोग तो वस्तुतः श्रमाभाव के कारण उत्पन्न होते हैं। स्वस्थ एवं प्रसन्न सुक्त जीवन के लिए श्रम के प्रति निष्ठा का होना भी उतना ही आवश्यक है जितना कि मानसिक श्रम।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118