सफलता के लिए समग्र पुरुषार्थ

September 1980

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सफलता चाहे वह आध्यात्मिक क्षेत्र में हो अथवा साँसारिक क्षेत्र में, प्रचण्ड पुरुषार्थ के आधार पर ही अर्जित की जा सकती है। बडी उपलब्धियों के लिए उनके अनुरुप ही श्रम करना एवं मनोयोग जुटाना पड़ता है। जो भी व्यक्ति साहस पुरुषार्थ के क्षेत्र में अपनी प्रामाणिकता सिद्ध कर देता है, उसके लिए इस सम्पदा को प्राप्ति का राजपथ खुल जाता है। अपने असाधारण शौर्य प्रदर्शन में युद्ध के नायकों को वीरता पदक दिये जाते हैं। ‘ परम विशिष्ट’ सेवा मेडल एक ऐया

मेडल है जो अभी तक गिने-चुने 10 व्यक्तियों को ही मिला है। यह इस कार्य से जुडे जोखिम, असाधारण शौर्य एवं उस व्यक्ति की सम्पादन करने की महानता का परिचायक है।

प्रकृति का भाण्डागार भी ऐसे ही अनेकानेक विलक्षण सम्पदाओं से भरा पडा है। धरती को अन्तर्स्थल हो अथवा समुद्र की तली, जिस किसी भी व्यक्ति ने खतरा उठा कर कुछ खोज निकालने का बीड़ा उठाया, वह उसे अपने मनोबल के आधार पर पा गया। उपलब्धि चाहे भौतिक रही हो, माध्यम हमेशा यही आध्यात्मिक गुण रहा है- मुसीबतो से, खतरों से लड़ने की जीवट । प्रकृतिगत सम्पदा को प्राप्त करने के लिए कितने ही सरजाम जुटाने पड़ते हैं। प्रकृति यह चाहती भी है कि पुरुषार्थ द्वारा ही कमाया जाय। मूल्यवान सम्पदाँएं श्रम से जी चुराने वालों को न प्राप्त हो जायें, इसलिए प्रकृति ने यह व्यवस्था बनायी है।

दक्षिण अमेरिका के ब्राजील देश की अमेजान घाटी खनिज सम्पदाओं के लिए विश्व-विख्यात है। इसी नदी के तटवर्ती क्षेत्र में आक्साइड का विशाल भण्डार बिखरा पडा है। यहाँ के शहर कटाजस 125 मील भतर घने जंगलों में एक ऐसे भण्डार का पता लगा है जिसमें अनुमानतः दस हजार टन सोना छिपा

पड़ा है। पर यह अनमोल उपहार आसानी से उपलब्ध हो जाये, ऐसी बात नहीं। कुछ ऐसे प्रकृतिगत अवरोधक इसके साथ जुडे हैं जो मनुष्य की मौत का कारण बन सकते हैं। बिना दूर-दर्शिता, साहसिकता एवं उपयुक्त साधनों के जिन-जिन ने भी अब तक प्रयास किये हैं, उनमें से अधिकाँश मृत्यु के मुख में चले गये।

यहाँ एक विशिष्ट प्रकार की तितली पायी जाती है। जिसके दंश से मृत्यु तक हो सकती है। सम्पदा की खोज में गये एवं किसी तरह उन संकटों से बचकर आये व्यक्तियों का कहना है कि पहुँचते ही तितलियाँ समूह के रुप में इस प्रकार आक्रमण कर देती हैं, मानो कोई दुश्मन उनके बीच में आ गया हो। मलेरिया एवं हिपेटाइटिस रोग की यहाँ बहुलता है। कालरा के कीटाणु भी यहाँ के पानी में घुले पाये गये हैं। जो भी व्यक्ति तितली के दंश से बच गए, वे या तो रोगों के शिकार हो मृत्यु को प्राप्त हुए अथवा ड़र कर वापस लौट आये। फिर भी मानवी पुरुषार्थ कभी रुका है। इतने व्यवधानों के बावजूद हर वर्ष कई साहसी सोना बटोरने जाते हैं। उस सम्पदा के भण्डार तक पहुचने में अभी तक पूर्ण सफलता किसी को नहीं मिल पायी है। जो मिलता है उससे इतना भर विश्वास जमता है कि इस क्षेत्र में असामान्य सम्पदा दबी पड़ी है। शासकीय स्तर पर भी ब्राजील प्रशासन ने कई सुविधाएं इन खोजियों को दे रखी हैं।

प्रकृति के ये विलक्षण सम्पदागार समुद्र की तलहटी में छिपे तेल-रत्नों के भण्डार, पृथ्वी के अन्तराल में सोये बहुमूल्य खनिज पदार्थ ऐसे ही मानवी पुरुषार्थ का आहृन करते रहते हैं। जो अवरोधकों से टकराते हुए, बिना निराश हुए अपने निर्धारित पथ पर चलता चला जाता है, वह निश्चित ही लक्ष्य को पा लेता है।

ब्राजील का र्स्वणकोष तब तक भूमिगत ही बा रहेगा जब तक कि उसे प्राप्त करने के लिए समग्र पुरुषार्थ करने वाले साधक सम्पन्न लोग आगे नहीं आते। अधूरे मन से- अधूरे साधनों से-आतुर लोग बिनापूर्ण कल्पना का सहारा लिए बिना परिपूर्ण योजना बनाये ऐसे ही आवेशग्रस्त होकर निकल पड़ते हैं। स्वल्प साधनों से असीम लाभ पाने की लालसा भटकती और भटकाती रहती है। अगले दिनों जब प्रबल पुरुषार्थ योजनावद्ध प्रयास चलेगा तो समुद्र और आकाश को मथ डालने वाला मनुष्य इस भूमिगत से भी वंचित न रहेगा।


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