गायत्र्येव तपोयोगः साधनं ध्यान मुच्यते।
सिद्धिनां सामता मातानातः किंचिद् वृहत्तरम्॥
−स्कन्द पुराण
गायत्री ही तप है, गायत्री ही योग है, यही सबसे बड़ा साधन और ध्यान है। इससे बढ़कर सिद्धिदायक और कोई साधना नहीं है।
सावित्र्यास्तु परन्नास्ति।
− मनु॰ 2।83
गायत्री से श्रेष्ठ और कुछ नहीं है।
बसन्तः प्राणायनो गायत्री वासन्ती।
-यजु॰ 13।25
‘‘गायत्री वह है जो बसन्त में गाई जाय और गाने वाले की रक्षा करे।’’
----***----