राष्ट्रपति महात्मा गाँधी ने कहा था-”अहिंसात्मक स्वराज्य की कुञ्जी आर्थिक समानता है। हमारा उद्देश्य देश के मुट्ठी भर धन कुबेरों को नीचे लाना और करोड़ों भूखे नंगों को ऊपर उठाना है। स्वतन्त्र भारत में जबकि सबको समान अधिकार है, नई दिल्ली के भव्य भवनों और गरीब मजदूरों की झोंपड़ियों का अन्तर का दिन भी नहीं चल सकेगा। अगर जन-हित के लिए स्वेच्छापूर्वक उस वैभव और अधिकार का त्याग नहीं किया गया तो निश्चय ही एक दिन भयंकर हिंसात्मक क्रान्ति होकर रहेगी।”