पीड़ा ही कष्ट और चैन ही सुख नहीं हैं (kahani)

August 1975

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एक सीप कराह रही थी उसके पेट में मोती था। प्रसव पीड़ा उसे कष्ट दे रही थी।

कराह का कारण जानने के बाद सीप की सहेली ने संतोष की साँस ली और अपने भाग्य को सराहते हुये कहा-मैं मजे में हूँ मुझे प्रसव पीड़ा का झंझट नहीं सहना पड़ा।

एक बुड्ढा केकड़ा कुछ दूर बैठा-बैठा यह सब देख सुन रहा था-उसने गरदन उठाकर देखा और कहा-आज की पीड़ा से एक को सुँदर मोती की जन्म दात्री बनना है और दूसरी का चैन उसे सदा दरिद्र बनाये रहने वाला है ये क्यों नहीं जानती कि पीड़ा ही कष्ट और चैन ही सुख नहीं हैं।


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