VigyapanSuchana

September 1968

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अन्य भाषा-क्षेत्रों में भी कदम बढ़ेंगे

भारत की तथा संसार की अन्यान्य भाषाओं में युग-निर्माण विचारधारा का अनुवाद तथा प्रकाशन किया जाना आवश्यक है। यह न किया जा सकता तो हिन्दी भाषी क्षेत्र तक ही यह प्रयत्न एवं प्रकाशन सीमित रह जायेगा। नव-निर्माण हिन्दी भाषी क्षेत्र का ही हो यह पर्याप्त न होगा। अस्तु हमें उन भाषाओं को भी अपना कार्यक्षेत्र बनाना होगा जिनके साहित्य से भारत ही नहीं समस्त विश्व की जनता के साथ- संपर्क बनाया जा सकता है।

साधन न होते हुए भी यह दुस्साहस तो आखिर करना ही पड़ेगा और उसे किया भी जाता है। सस्ते ट्रैक्टों का अनुवाद कार्य अभी गुजराती, मराठी, बंगला और अँग्रेजी भाषाओं में करने का काम हाथ में लिया गया है। इस संदर्भ में एक विज्ञप्ति भी गत अंक में छापी गई है। इस सम्बन्ध में पुनः ध्यान दिलाया जाता है। जो अनुवाद कार्य कर सकने में अपने को उपयुक्त मानते हों वे पत्र व्यवहार कर लें। साथ ही अखण्ड-ज्योति का एक लेख अपनी अभ्यस्त भाषा में अनुवाद करके भेजें ताकि कार्य के सम्बन्ध में अधिक परिचय प्राप्त हो सके।

सोचा यह भी जा रहा है कि ‘युग-निर्माण’ पत्रिका को इन भाषाओं में अनुवादित करके प्रकाशित किया जाने लगे ताकि उन क्षेत्रों में भी विचारधारा फैले। वर्तमान पाठकों में से जो अपनी भाषा में पत्रिका पढ़ने के इच्छुक तथा उत्साही हों वे भी अपना नाम नोट करा दें ताकि समुचित संख्या होने पर उपयुक्त कदम उठाया जा सके।


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